मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हुमैद हसन मुबारकपुरी

हम चाहे किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों न हों इंसानियत अथवा मानवता हम सब का धर्म और हमारे मानव होने की सबसे बड़ी पहचान है। यह मानवता हमसे अनुरोध करती है कि हम ज़ालिम और ज़ुल्म का विरोध करें और पीड़ित लोगों के साथ खड़े हों। हमारे समाज की भी ये आवश्यकता है कि हम हर प्रकार की नफरत और हिंसा का खात्मा करें। एक दूसरे के साथ खड़े होकर भाईचारे को स्थापित करें। एकता और शांति की अपने घर और समाज में नीव डालें और जालिमों की किसी भी प्रकार से सहायता न करें । एकता और आपसी मिलाप को अपना आदर्श मानकर नफरत को मिटाएं। अगर हमारे देश में सांप्रदायिकता (communalism) की बात की जाए तो हम एकता की बात करें, हिंसा की बात हो तो हम गांधीवाद की बात करें, राजनीति तट हमें बाटे तो हम अपनी शिक्षा और संस्कार से उनको काॕटे, अगर झूठ का सहारा लिया जाए तो हम सत्य को अपना कर्तव्य जानें।
हिंसावादियो का कोई धर्म नहीं होता, वो नफरत की आग में स्वयं जलते हैं और दूसरो को जलाना जानते हैं।
अगर आज इस अत्याचार पर रोक नहीं लगाई गई तो हमारे देश का विकास असंभव है। यह हमारे देश के भविष्य के लिए हानिकारक साबित होगा।
हिन्दुस्तान की आन बान शान उसकी विविधता में एकता है। गंगा जमुनी संस्कृति हमारा इतिहास भी है और हमारी ताकत भी है। अहिंसा का पाठ पढ़ाएं। जातिवाद को त्याग के एकजुट होकर विकास की बात करें। आइए अपने घर और समाज को सुरक्षित बनाएं, अपने कर्तव्य और ज़िम्मेदारियों को निभाएं, उस भारत को वापिस लाएं जो गांधी जी देकर गए थे। मानवता, एकता, उदारता और भाईचारे का उदाहरण बनें। आईए इंसानियत के लिए, इंसान को बचाएं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में हैं भाई भाई।
देश में न्याय और स्वतंत्रता को बढ़ावा दें। क्यों कि देश का विकास न्याय के साथ ही हो सकता है । और ये न्याय देश के प्रतिएक विभाग में हो क्यों कि किसी भी मामले में न्याय की उतनी ही ज़रूरत होती है जितनी इंसान अपने जिस्म के लिए आत्मा की जरूरत महसूस करता है। न्याय के बिना निर्णय करने वाली बड़ी बड़ी अदालतें ख़तम हो गईं। असत्य पर निर्धारित सरकारें गुलामी में बदल गईं। न्याय, ये मानवता का एक अहम पहलू है और एकता एवं आपसी सहमति को जीवित रखने का और मतभेद को ख़तम करने का रास्ता है।
न्याय करते समय अपना और पराया नहीं देखा जाता, अमीर और गरीब का ध्यान नहीं किया जाता, रिश्वत नहीं ली जाती, लाभ और हानि से नहीं तोला जाता बल्कि संप्रदायों और जातियों की बेड़ियों से आज़ाद हो कर इंसानों के अधिकारों का ध्यान रखते हुए न्याय की स्थापना की जाती है।
मेरे प्यारे भारतवासियो! हमें ये बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए कि सारे धर्म हर एक के साथ न्याय करने और प्रेम के साथ मिलजुल कर रहने का आदेश देता है।

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Sameer AliMohd irshadkhubaib Hasan Recent comment authors
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khubaib Hasan
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khubaib Hasan

❤️❤️🌹🌹👍👍

Mohd irshad
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Mohd irshad

मांशा अल्लाह बहुत अच्छी बाते लिखी हैं आपने इस वक्त हमारे मुल्क भारत मे इसी तरह की सोच और समझ की जरूरत हैं ताकि हमारा मुल्क अमनो अमान मे रहे….

Sameer Ali
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Sameer Ali

Masha Allah shaikh Allah aapke ilam me Barkat de .. aamin ya rabbul aalamin
Sameer ali salfi